Tuesday, January 29, 2008

आधुनिक जीवन

कल कई कारण ब्लागस्पाट पर लिखा ही नहीं जा रहा था। तो मैं आज कल का पोस्ट खतम करूंगी।
बहुत लोग कहते हैं कि नशा, मार-पिटाई, बच्चे बड़े के बातों को नहीं सुनते, यह सब आधुनिक जीवन के बुरायाँ हैं। लेकिन क्या सच मे उनका कारण आधुनिक जीवन है? मैं मानती हूँ, नहीं। इन सब का कारण है आज़ादी। आधुनिक काल मे बहुत लोग मानते हैं कि आज़ादी अच्छी चीज़ है। लेकिन आज़ादी का एक परिणाम है, खासकर जब आज़ादी नई बात है, कि लोग गलत फैसले करते हैं और ज्ञानियों के बातों को नहीं सुनते। यहाँ तक कि बच्चे भी अपनी मनमानी करते हैं। यह गलत है। अगर हम उन लोगो के विचारों को नहीं सुनेंगे जिनके पास ज्ञान और अनुभव है, समाज मे प्रगती कैसे होगी? हम हमेशा पुरानी गलतीयां करते रहेंगे।
लेकिन आज़ादी अच्छी चीज़ भी है। बडों से भी गलतीयां होती है और हम सब को यह हक भी होना चाहिए कि हम अपने गलतीयां करें। परिवार की समस्या भी ऐसे हो सकते हैं जहाँ पर आज़ादी चाहिए होती है। डोमीनो'एस पीट्ज़ा को जिस आदमी ने शुरू किया था उसे बताया गया था कि उसका विचार गलत है और कभी कमियाब नहीं होगा। अगर उसने उस प्रोफेसर कि बात ना ठुकराया होता तो हमारे पास डिलीवरी न होता। आप भी अपने जीवन के ऐसे पल याद सकते होंगे जहाँ आप का ख्याल ठीक था और बडों का गलत।
तो आज़ादी भी अच्छी चीज़ है। हमे बस यह ध्यान मे रखना चाहिए कि आजाद आदमी होने के साथ साथ हम समाज का भी एक हिस्सा हैं। आज़ादी के साथ साथ और समाज के साथ ज़िमिदारेयाँ होती हैं और हमे इनको निभाना है। अगर हम यह दो मूल्यों का पालन कर सकें तो अछा होगा।

Monday, January 28, 2008

आधुनिक जीवन

पहले। टिप्पणी के लिए धनियवाद। मैं बहुत कोशिश कर रहीं हूँ कि मैं अपनी हिन्दी सुधार सकूं। मेरा मानना है कि अभ्यास और परिश्रम से कुछ भी हो सकता है। तो मैंने दिल से कहा कि मैं हिन्दी सीखुन्गी। इस वक्त मई कोइ हिन्दी क्लास नहीं ले रही, तो मैं अपने से पढ़ कर, लिख कर, सीख
रहीं हूँ। ।
एक और चीज़ के बारे मे लिख न चाहतीं हूँ वह है आधुनिक जीवन।
बहुत लोग कहते हैं, काश हम पुराने ज़माने मे जी रहे होते। वहाँ बच्ची आज्ञाकारी होते थे, बैठने का वक्त मिलता था, सब कुछ ठीक से, नीयम से, चलता था। मैं यह maantee हूँ कि पहले बहुत cheezen जो अभी ठीक से नहीं चल रहीं, तब ठीक से chaltee थी। लेकीन यह bhee याद रखना chahie कि आधुनिक काल मे बहुत achhaayan भी हैं। जैसे aazaadee। aazaadee achhee भी है और buree भी। तो बहुत aise cheezen जो लोग आधुनिक काल के buraayan मानते हैं वह asal मे aazaadee के दोष हैं। mujhe यह post खतम करना पड़ेगा। blogspot यह मेरी komputar मे कोइ दोष आ रहें हैं।

आलस्य

ज़िंदगी के लिए आलस्य बहुत बोरी चीज़ है। आज कल मैं इस ही उलझन मे हूँ। पाठशाला से कम काम मिल रहा है। बहुत सी चीज़ें हैं जो मैं कर सकती हूँ। जैसे यह, हिन्दी का अभ्यास, अपने को एक दो और चीज़ें सिखा सकती हूँ, यह नौकरी के खोज मे निकालूं। लेकिन मन तो हमेशा करता है कि मस्ती करूं। मैं एक चीज़ करने के लिए बैठती हूँ और दस मिनट मे उठ जाती हूँ। अपने मन को समझना पड़ता है कि कुछ पाठशाला का काम हो ना हो, खुद को व्यस्त रखना चाहिए और इस वक्त के साथ कुछ करना चाहिए। तो अभी मैं यह लिख रहीं हूँ।
आप सब ही मुझे बताएं, मैं वेब डिसाईन सीखूँ यह इन्वेस्त्मिंट. मैं एक और एक और क्लास इस लिए नहीं लेना चाह रहीं क्योंकि जो क्लास मैंने अभी चुने हैं वह थोड़े देर मे बहुत मुश्किल हो जाएँगे और बहुत वक्त लेने लगेंगे। तो अगर मैं अपने को कुछ सिखौंगी तो जब क्लास के लिए बहुत काम करना होगा मैं उनपे वक्त बिता सकती हूँ और तब तक मैं कुछ सीख bhee lungee.

Tuesday, January 22, 2008

मुझे लिखे हुए दो महीने हो गए हैं। इस के लिए मैं माफी मांगती हूँ। मेरी ज़िंदगी मे बहुत कुछ हुआ हैं। जैसे छुटीयों मे मैं माँ, बाप, और बहन के साथ ताऊजी और दीदी के पास गयी थी।
इन दो महीनों मे बहुत कुछ हुआ है। कल मे ही मार्केट बहुत गिरा है। लेकिन मेरे बाप ने इस के बारे मे कुछ अच्छा कहा, इस से नीचे तो जा नही सकता, अब तो ऊपर ही जा सकता है, तो अभी स्टॉक खारीदना चाहिए। समाचारपत्रों मे भी इस पे बहुत विचार हुआ हे कि ऐसे व्यवस्था मे क्या करना चाहिए। एक सलाह जो सी.एन.एन ने दी थी वो मे आप सब को भी देना चाहूंगी-- घबरा के कोइ कदम ना उठाएं। अगर आपके पास जीविका चलाने के लिए काफी पैसे हैं तो आप इन्वेस्ट किये हुए पैसे को आज छूएँ ही न। लेकिन मुझे कम जानकारी है तो मैं बस वही दोहरा रहीं हूँ जो मैंने सुना।
एक जगह जहाँ मेरी जानकारी ज़्यादा है- राजनीती। अमरीका का चुनाव है वह अभी से ही बहुत लड़ाई भरा लग रहा है। देमोक्रटिक पार्टी के दो प्रमुख अभीलाशी ओबामा और क्लिंटन के बीच क्रोध-भरा जंग हो रहा है। मुझे यह बहुत दुखित करता है क्योंकि यह पार्टी के लिए अछा नहीं है। और मे चाहती थी की क्लिंटन राष्ट्रपती बने और ओबामा उपराष्ट्रपति। लेकिन रेगन और जोर्ज एह.डबल यूं बुश के बीच भी बहुत लड़ाई हुई थी फिर बुश रेगन का उपराष्ट्रपति बना। तो अभी भी यह हो सकता है।
लेकिन मुझे एक बात का अव्सोस है। पहले क्लिंटन समस्याओं और सुझावों के बारे मे बात कर रही थी। फिर जब पहली चुनाव मे उसकी हार हुई, सब ने कहा वह उस के वाजे से हुई। तब से उसने लड़ाई छेड़ ना शुरू किया। क्या अभ भी अमरीकी वोट डालते हुए सुझावों को प्रथम नहीं मानेंगे। जब तक जनता यह नही कहेगी कि हम सुझाव देखके वूतें डालेंगे तब तक मंत्रियों और अभीलाशीयों उनको प्रथम नहीं मानेंगे और अभियान मे खूब लड़ाई होगी।