ज़िंदगी के लिए आलस्य बहुत बोरी चीज़ है। आज कल मैं इस ही उलझन मे हूँ। पाठशाला से कम काम मिल रहा है। बहुत सी चीज़ें हैं जो मैं कर सकती हूँ। जैसे यह, हिन्दी का अभ्यास, अपने को एक दो और चीज़ें सिखा सकती हूँ, यह नौकरी के खोज मे निकालूं। लेकिन मन तो हमेशा करता है कि मस्ती करूं। मैं एक चीज़ करने के लिए बैठती हूँ और दस मिनट मे उठ जाती हूँ। अपने मन को समझना पड़ता है कि कुछ पाठशाला का काम हो ना हो, खुद को व्यस्त रखना चाहिए और इस वक्त के साथ कुछ करना चाहिए। तो अभी मैं यह लिख रहीं हूँ।
आप सब ही मुझे बताएं, मैं वेब डिसाईन सीखूँ यह इन्वेस्त्मिंट. मैं एक और एक और क्लास इस लिए नहीं लेना चाह रहीं क्योंकि जो क्लास मैंने अभी चुने हैं वह थोड़े देर मे बहुत मुश्किल हो जाएँगे और बहुत वक्त लेने लगेंगे। तो अगर मैं अपने को कुछ सिखौंगी तो जब क्लास के लिए बहुत काम करना होगा मैं उनपे वक्त बिता सकती हूँ और तब तक मैं कुछ सीख bhee lungee.
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