Tuesday, February 12, 2008

आज फिरसे मुझे याद आया कि मीडीया के आँख मे होना कितनी मुश्किल की बात है। एक मेरी दोस्त, जो बिल्कुल नहीं चाहती कि हिलरी राष्ट्रपती बने, उसने मुझे हस्ते हुए कहा कि हिलरी की आवाज़ बहुत थकित थी आज। मैंने अंदर सोचा, हाए, बिचारी हिलरी। लेकिन दोस्त और ज़्यादातर लोग राज्नीते के आँख से इस को देखेंगे। सोचेंगे कि इसका फाईदा कैसे उठाया जाए। यह राजनीती है। लेकिन काश अगर कभी इन्सानीयत भी इस झगडे मे आ जाए।

और राजनीती को भी छोड़ो, आप विचार करें कि स्तार्ज़, गायक जैस लोग के साथ कैसे वर्ताव होता है। उनको एक पल का चैन नहीं मिलता। जो भी वह करतें हैं समाचारपत्रों मे छापा जाता है। अमरीकी गायक ब्रिटनी स्पीर्ज़ को ले लो। यह साबित हो गया है कि उस को दिमाक मे कुछ खोट है। तो इस हालत मे उसका मजाक उडाना ठीक है? हीथ लेजर कि अभी मौत हुई थी। इस से पहले की किसी को पता चला कि वह कैसे मरे, फ़ाक्स नेव्ज़ का एक आदमी ने उसकी निंदा शुरू करदी। एई.टी, एक चेनल, ने बहुत बुरी edating करके साबित करना चाहा कि लेजर बहुत नशे करता था। क्यों? इस से ज़्यादा पैसा मिलता। उन्होंने टेप के किए बहुत पैसे दिए थे। अभी सारे वैद्यों और विग्यानीयों का मानना है कि उसकी मृत्यु एक हात्सा था। लेकिन पत्रिकारों क्षमा नहीं मांगेंगे, वह कहेंगे कि वह स्टार है और और ऐसे कहना उनका अधिकार था। क्या यह ठीक है? केवल स्टार यह मशहूर होना किसी को यह अधिकार देता है कि वह कुछ भी कहें, कहीं भी घुसें? लेजर का सम्पूर्ण परिवार जब वः घाम मे डूबे हुए थे, सब चीज़ें सुन रहे थे।

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