Tuesday, January 22, 2008

मुझे लिखे हुए दो महीने हो गए हैं। इस के लिए मैं माफी मांगती हूँ। मेरी ज़िंदगी मे बहुत कुछ हुआ हैं। जैसे छुटीयों मे मैं माँ, बाप, और बहन के साथ ताऊजी और दीदी के पास गयी थी।
इन दो महीनों मे बहुत कुछ हुआ है। कल मे ही मार्केट बहुत गिरा है। लेकिन मेरे बाप ने इस के बारे मे कुछ अच्छा कहा, इस से नीचे तो जा नही सकता, अब तो ऊपर ही जा सकता है, तो अभी स्टॉक खारीदना चाहिए। समाचारपत्रों मे भी इस पे बहुत विचार हुआ हे कि ऐसे व्यवस्था मे क्या करना चाहिए। एक सलाह जो सी.एन.एन ने दी थी वो मे आप सब को भी देना चाहूंगी-- घबरा के कोइ कदम ना उठाएं। अगर आपके पास जीविका चलाने के लिए काफी पैसे हैं तो आप इन्वेस्ट किये हुए पैसे को आज छूएँ ही न। लेकिन मुझे कम जानकारी है तो मैं बस वही दोहरा रहीं हूँ जो मैंने सुना।
एक जगह जहाँ मेरी जानकारी ज़्यादा है- राजनीती। अमरीका का चुनाव है वह अभी से ही बहुत लड़ाई भरा लग रहा है। देमोक्रटिक पार्टी के दो प्रमुख अभीलाशी ओबामा और क्लिंटन के बीच क्रोध-भरा जंग हो रहा है। मुझे यह बहुत दुखित करता है क्योंकि यह पार्टी के लिए अछा नहीं है। और मे चाहती थी की क्लिंटन राष्ट्रपती बने और ओबामा उपराष्ट्रपति। लेकिन रेगन और जोर्ज एह.डबल यूं बुश के बीच भी बहुत लड़ाई हुई थी फिर बुश रेगन का उपराष्ट्रपति बना। तो अभी भी यह हो सकता है।
लेकिन मुझे एक बात का अव्सोस है। पहले क्लिंटन समस्याओं और सुझावों के बारे मे बात कर रही थी। फिर जब पहली चुनाव मे उसकी हार हुई, सब ने कहा वह उस के वाजे से हुई। तब से उसने लड़ाई छेड़ ना शुरू किया। क्या अभ भी अमरीकी वोट डालते हुए सुझावों को प्रथम नहीं मानेंगे। जब तक जनता यह नही कहेगी कि हम सुझाव देखके वूतें डालेंगे तब तक मंत्रियों और अभीलाशीयों उनको प्रथम नहीं मानेंगे और अभियान मे खूब लड़ाई होगी।

1 comment:

विकास परिहार said...

hi priya kaisi ho?
dheere dheere tumhari hindi sudhar rahi hai.
bahut achche keep it up...........