Monday, January 28, 2008

आधुनिक जीवन

पहले। टिप्पणी के लिए धनियवाद। मैं बहुत कोशिश कर रहीं हूँ कि मैं अपनी हिन्दी सुधार सकूं। मेरा मानना है कि अभ्यास और परिश्रम से कुछ भी हो सकता है। तो मैंने दिल से कहा कि मैं हिन्दी सीखुन्गी। इस वक्त मई कोइ हिन्दी क्लास नहीं ले रही, तो मैं अपने से पढ़ कर, लिख कर, सीख
रहीं हूँ। ।
एक और चीज़ के बारे मे लिख न चाहतीं हूँ वह है आधुनिक जीवन।
बहुत लोग कहते हैं, काश हम पुराने ज़माने मे जी रहे होते। वहाँ बच्ची आज्ञाकारी होते थे, बैठने का वक्त मिलता था, सब कुछ ठीक से, नीयम से, चलता था। मैं यह maantee हूँ कि पहले बहुत cheezen जो अभी ठीक से नहीं चल रहीं, तब ठीक से chaltee थी। लेकीन यह bhee याद रखना chahie कि आधुनिक काल मे बहुत achhaayan भी हैं। जैसे aazaadee। aazaadee achhee भी है और buree भी। तो बहुत aise cheezen जो लोग आधुनिक काल के buraayan मानते हैं वह asal मे aazaadee के दोष हैं। mujhe यह post खतम करना पड़ेगा। blogspot यह मेरी komputar मे कोइ दोष आ रहें हैं।

1 comment:

Batangad said...

प्रिया, जमकर आधुनिक जीवन पर जमकर लिखिए। बहुत अच्छा विषय चुना है। रही भाषा की अशुद्धियों की बात तो, वो कोई बड़ी बात नहीं। हिंदी में आप लिख रही हैं सदइच्छा से। और, तो सब खुद ब खुद ठीक हो जाएगा।