Wednesday, February 13, 2008
महाध्यापक और अध्यापकों का आदर
और यह इज्ज़त कि बात भी है। हमे अध्यापकों और बडों का आदार करना चाहिए। हमारे यहाँ माना जाता है कि अगर अध्यापकों का आदार न करो यह विद्या का आदार न करो तो कुछ सीखोगे ही नहीं। यह बात मेरे कई सह्पाटीयों को याद राखना चाहिए। अध्यापकों के कार्यों से थोडा रूठना ठीक है लेकिन निरादर कभी नहीं करना चाहिए।
Tuesday, February 12, 2008
आज फिरसे मुझे याद आया कि मीडीया के आँख मे होना कितनी मुश्किल की बात है। एक मेरी दोस्त, जो बिल्कुल नहीं चाहती कि हिलरी राष्ट्रपती बने, उसने मुझे हस्ते हुए कहा कि हिलरी की आवाज़ बहुत थकित थी आज। मैंने अंदर सोचा, हाए, बिचारी हिलरी। लेकिन दोस्त और ज़्यादातर लोग राज्नीते के आँख से इस को देखेंगे। सोचेंगे कि इसका फाईदा कैसे उठाया जाए। यह राजनीती है। लेकिन काश अगर कभी इन्सानीयत भी इस झगडे मे आ जाए।
और राजनीती को भी छोड़ो, आप विचार करें कि स्तार्ज़, गायक जैस लोग के साथ कैसे वर्ताव होता है। उनको एक पल का चैन नहीं मिलता। जो भी वह करतें हैं समाचारपत्रों मे छापा जाता है। अमरीकी गायक ब्रिटनी स्पीर्ज़ को ले लो। यह साबित हो गया है कि उस को दिमाक मे कुछ खोट है। तो इस हालत मे उसका मजाक उडाना ठीक है? हीथ लेजर कि अभी मौत हुई थी। इस से पहले की किसी को पता चला कि वह कैसे मरे, फ़ाक्स नेव्ज़ का एक आदमी ने उसकी निंदा शुरू करदी। एई.टी, एक चेनल, ने बहुत बुरी edating करके साबित करना चाहा कि लेजर बहुत नशे करता था। क्यों? इस से ज़्यादा पैसा मिलता। उन्होंने टेप के किए बहुत पैसे दिए थे। अभी सारे वैद्यों और विग्यानीयों का मानना है कि उसकी मृत्यु एक हात्सा था। लेकिन पत्रिकारों क्षमा नहीं मांगेंगे, वह कहेंगे कि वह स्टार है और और ऐसे कहना उनका अधिकार था। क्या यह ठीक है? केवल स्टार यह मशहूर होना किसी को यह अधिकार देता है कि वह कुछ भी कहें, कहीं भी घुसें? लेजर का सम्पूर्ण परिवार जब वः घाम मे डूबे हुए थे, सब चीज़ें सुन रहे थे।
Monday, February 11, 2008
चुनाव मे खडे होना।
जैसे जौन एड्वार्द्ज़। उस के पत्नी को केंसर हुआ, उस के बेटी को एक दृंक ड्राईवर ने मारा। और उसको समाचार दिया एक पत्रीकर ने। वह ठीक है, लेकिन बाप के मन मे क्या ख़याल आए होंगे यह सुन कर?
सब हिलारी के रोने पर बहुत बात कर रहें हैं। लेकिन अगर मैं उन के जगह होती तो बहुत थक जाती और कभी कभी थकान के कारण अन्सुं भी बहते हैं।
बहुत सारे चीजेओं जो अब बराक के खिलाफ इस्तिमाल किए जा रहें हैं वह एक इण्टरव्यू से हैं। लेकिन इतनी लम्बी चौरी कैम्पेन मे एक तो गलती हो ही जाएगी।
मैंने यह पोस्ट क्यों लिखा? मैंने सोचा कि राज नीती से दो तीन पल के लिए बाहर आके हम इन्साओं के बारे मे सोचे। रोमनी ने करारों डाँलर खर्चे थे और क्या पाया? इतनी मुश्किल से कमाया पैसा और एक पल मे गायब?
Tuesday, January 29, 2008
आधुनिक जीवन
बहुत लोग कहते हैं कि नशा, मार-पिटाई, बच्चे बड़े के बातों को नहीं सुनते, यह सब आधुनिक जीवन के बुरायाँ हैं। लेकिन क्या सच मे उनका कारण आधुनिक जीवन है? मैं मानती हूँ, नहीं। इन सब का कारण है आज़ादी। आधुनिक काल मे बहुत लोग मानते हैं कि आज़ादी अच्छी चीज़ है। लेकिन आज़ादी का एक परिणाम है, खासकर जब आज़ादी नई बात है, कि लोग गलत फैसले करते हैं और ज्ञानियों के बातों को नहीं सुनते। यहाँ तक कि बच्चे भी अपनी मनमानी करते हैं। यह गलत है। अगर हम उन लोगो के विचारों को नहीं सुनेंगे जिनके पास ज्ञान और अनुभव है, समाज मे प्रगती कैसे होगी? हम हमेशा पुरानी गलतीयां करते रहेंगे।
लेकिन आज़ादी अच्छी चीज़ भी है। बडों से भी गलतीयां होती है और हम सब को यह हक भी होना चाहिए कि हम अपने गलतीयां करें। परिवार की समस्या भी ऐसे हो सकते हैं जहाँ पर आज़ादी चाहिए होती है। डोमीनो'एस पीट्ज़ा को जिस आदमी ने शुरू किया था उसे बताया गया था कि उसका विचार गलत है और कभी कमियाब नहीं होगा। अगर उसने उस प्रोफेसर कि बात ना ठुकराया होता तो हमारे पास डिलीवरी न होता। आप भी अपने जीवन के ऐसे पल याद सकते होंगे जहाँ आप का ख्याल ठीक था और बडों का गलत।
तो आज़ादी भी अच्छी चीज़ है। हमे बस यह ध्यान मे रखना चाहिए कि आजाद आदमी होने के साथ साथ हम समाज का भी एक हिस्सा हैं। आज़ादी के साथ साथ और समाज के साथ ज़िमिदारेयाँ होती हैं और हमे इनको निभाना है। अगर हम यह दो मूल्यों का पालन कर सकें तो अछा होगा।
Monday, January 28, 2008
आधुनिक जीवन
रहीं हूँ। ।
एक और चीज़ के बारे मे लिख न चाहतीं हूँ वह है आधुनिक जीवन।
बहुत लोग कहते हैं, काश हम पुराने ज़माने मे जी रहे होते। वहाँ बच्ची आज्ञाकारी होते थे, बैठने का वक्त मिलता था, सब कुछ ठीक से, नीयम से, चलता था। मैं यह maantee हूँ कि पहले बहुत cheezen जो अभी ठीक से नहीं चल रहीं, तब ठीक से chaltee थी। लेकीन यह bhee याद रखना chahie कि आधुनिक काल मे बहुत achhaayan भी हैं। जैसे aazaadee। aazaadee achhee भी है और buree भी। तो बहुत aise cheezen जो लोग आधुनिक काल के buraayan मानते हैं वह asal मे aazaadee के दोष हैं। mujhe यह post खतम करना पड़ेगा। blogspot यह मेरी komputar मे कोइ दोष आ रहें हैं।
आलस्य
आप सब ही मुझे बताएं, मैं वेब डिसाईन सीखूँ यह इन्वेस्त्मिंट. मैं एक और एक और क्लास इस लिए नहीं लेना चाह रहीं क्योंकि जो क्लास मैंने अभी चुने हैं वह थोड़े देर मे बहुत मुश्किल हो जाएँगे और बहुत वक्त लेने लगेंगे। तो अगर मैं अपने को कुछ सिखौंगी तो जब क्लास के लिए बहुत काम करना होगा मैं उनपे वक्त बिता सकती हूँ और तब तक मैं कुछ सीख bhee lungee.
Tuesday, January 22, 2008
इन दो महीनों मे बहुत कुछ हुआ है। कल मे ही मार्केट बहुत गिरा है। लेकिन मेरे बाप ने इस के बारे मे कुछ अच्छा कहा, इस से नीचे तो जा नही सकता, अब तो ऊपर ही जा सकता है, तो अभी स्टॉक खारीदना चाहिए। समाचारपत्रों मे भी इस पे बहुत विचार हुआ हे कि ऐसे व्यवस्था मे क्या करना चाहिए। एक सलाह जो सी.एन.एन ने दी थी वो मे आप सब को भी देना चाहूंगी-- घबरा के कोइ कदम ना उठाएं। अगर आपके पास जीविका चलाने के लिए काफी पैसे हैं तो आप इन्वेस्ट किये हुए पैसे को आज छूएँ ही न। लेकिन मुझे कम जानकारी है तो मैं बस वही दोहरा रहीं हूँ जो मैंने सुना।
एक जगह जहाँ मेरी जानकारी ज़्यादा है- राजनीती। अमरीका का चुनाव है वह अभी से ही बहुत लड़ाई भरा लग रहा है। देमोक्रटिक पार्टी के दो प्रमुख अभीलाशी ओबामा और क्लिंटन के बीच क्रोध-भरा जंग हो रहा है। मुझे यह बहुत दुखित करता है क्योंकि यह पार्टी के लिए अछा नहीं है। और मे चाहती थी की क्लिंटन राष्ट्रपती बने और ओबामा उपराष्ट्रपति। लेकिन रेगन और जोर्ज एह.डबल यूं बुश के बीच भी बहुत लड़ाई हुई थी फिर बुश रेगन का उपराष्ट्रपति बना। तो अभी भी यह हो सकता है।
लेकिन मुझे एक बात का अव्सोस है। पहले क्लिंटन समस्याओं और सुझावों के बारे मे बात कर रही थी। फिर जब पहली चुनाव मे उसकी हार हुई, सब ने कहा वह उस के वाजे से हुई। तब से उसने लड़ाई छेड़ ना शुरू किया। क्या अभ भी अमरीकी वोट डालते हुए सुझावों को प्रथम नहीं मानेंगे। जब तक जनता यह नही कहेगी कि हम सुझाव देखके वूतें डालेंगे तब तक मंत्रियों और अभीलाशीयों उनको प्रथम नहीं मानेंगे और अभियान मे खूब लड़ाई होगी।