आज की दुर्घटना, अमरीका और हिंदुस्तान में भी एक भिन्नता हैं। अमरीका मे यह भिन्नता रंग के ऊपर निर्भर हैं। आज यह फिर साबित हुआ हैं। मुझे नहीं पता के आप मे से किसी ने जेना ६ का नाम सुना हैं। यह एक मामला है जिसने सारी देश को उत्तेजित किया है। दुःख की बात तो यह है की कई लोग इस केस का सही माईना नही समझते। आज ही मेरी एक दोस्त ने मुझ से कहा, की इस केस मे ख़ासियत क्या है? एक [अफ्रीकी-अमरीकन] बच्चे ने एक [गोरे] बच्चे को बहुत मारा, तो उस को तो जेल होना ही था ।" लेकिन इस केस के पीछे बहुत इतिहास हैं। यह तो सही है की ६ की ६ बच्चों ने एक गोरे को बहुत मारा है। एक बच्चे को इतना पीटा की इस को असपीताल मे भरती कराना पडा। तो इन बच्चे को सजा तो मिलनी ही चहीये। लेकिन सजा को सारे बातों को देख कर देनी चहीये। एक वृक्ष इस केस के जड़ हैं। एक वृक्ष जिसकी छाँव अफ्रीकी लोगो नहीं बैठ सकते। एक लड़के ने यह अपराध किया। उस के थोड़े दिन बाद , एक सरकफन्दा लगाया गया। बहुत लोग कहेंगे की तो क्या? लेकिन यह केस दक्षिण मे हुआ हैं। वहाँ पे बहुत लिंचिंग हुए हैं। तो यह सरकफन्दा सिर्फ एक सरकफन्दा नहीं था इन बच्चों के लिये। यह एक भयंकर दृश्य है। यह सरकफन्दा उनको विवशता याद दिलाती हैं। और अगर आप कभी अल्पसंख्यक लोगो मे से नहीं हुए हैं, तो आप यह विवशता और इस से पैदा हुए डर को नहीं समझ सकते।
यही आज नहीं है। कई लोग जो जादातार हमारे और उनके साथ होते, वह पूरी बात नहीं समझ रहे। वह यह नहीं सोच रहे, की माईकल बैल को जूवेनाय्ल न्यायाले मे क्यों नहीं भेजा गया। एक न्यायाधीश ने भी आज कहा है, की उस को जूवेनाय्ल न्यायाले मे भेज ना चाहए था।
एक और सबूत की यह केस के पीछे इतिहास है, जब कल लोग इस केस का विरोध कर रहे थे दो लोगो ने सरकफन्दा गाड़ी पे बाँध कर चला रहे थे।
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