Saturday, September 22, 2007

मिशिगन फुटबाल और प्रिया

मैं एक बात कबूल करती हूँ। इस साल तक मैं चाहती थी की मिशिगन हरे। सिर्फ फुटबाल मैं। लेकिन इस साल, सब के साथ मैंने चाहा की मिशिगन नोत्र दाम को हराए। और इस हफ्ते, मैं बड़ी व्याकुलता के साथ यह खेल देख रहीं हूँ। मेरा पहला गेम. अभी तीसरा क्वार्टर शुरू होने वाला ही है। ७-३। मैं बिल्कुल चाहती हूँ की मिशिगन जीते। तो सोच रही थी, यह बदलाव क्यों? फिर मैंने सोचा, की जबसे मैं छोटी थी-- मैं यहीं बड़ी हुई थी-- सब अकड़ते थे। मुझे लगता था की सब जादा घमंडी थे। तो मैं सोचती थी की अगर मिशिगन हारे, तो उन का घमंड तो कम होगा।
लेकिन इस साल, घमंड चला गया। इस साल लोगो को पता चला की मिशिगन भी हार सकती हैं। तो जब यह जानकारी आ गयी हैं! चल कमा के दिखा दे मिशिगन! कमाई मे ही सच्ची जीत है। अगर कम परिश्रम मे जीत मिले तो क्या सीखोगे? युनिवेर्सिती मे तो इन्होंने कुछ कमाना नहीं। आगे जाकर उनको हार के बाद वापिस आना होगा। तो अगर अभी सीखें तो वह जादा क्या बात हैं!
और जो दर्शक हैं, वह भी टीम के परिश्रम से कुछ सीखने को मिलेगा। घमंड बहुत बुरी चीज़ हैं।

2 comments:

पंकज बेंगाणी said...

प्रियाजी,

सही बात कही आपने घमण्ड बुरी चीज है.

Priya said...

tippaNee ke liye dhanyavaad.