Friday, September 7, 2007

बोल्लीवूद और समाज

वैज्ञानिक कहते हैं की एक देश को देमोक्रसी तब ही कह्लासक्ती है जब उन्के न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट संसद के निर्णयों को नामंज़ूर करते हैं। जब धनी लोगो और नेताओं के दोस्तों को भी जेल होती है। यही इस साल हिंदुस्तान मे हुआ हैं। सुन्जय दत्त, एम पी प्रिया दत्त का भाई, को टाडा कोर्ट ने आतंकवाद के आरोपों से बेकसूर टेहराया लेकिन बंधुको के आरापों और ऐसे छोटे आरोपों पर कसूरवार ठेराया हैं। इन के कारन उस को ५ वर्ष कड़ी सजा हुई है। इस कैस मे पहले शायद हेरा फेरी हुई है, लेकिन अभी लगता है की भारतीय न्यायाकर्ताओ चाहते हैं की उन पे कोइ भ्रष्टाचार का आरोप ना लगा सके। तो टाडा का न्यायाकर्ता कहता है की संजय दत्त आतंकवादी नहीं है। यह कह कर न्यायकर्ता यह बतलाता है की वह प्रैस नहीं ले रहा। क्योंकी अगर वह अपना नाम बढ़ाना चाहता था तो वह कड़ी सजा देते हुए संजय को टोक ता।
मुझे लग ता है की संजय को दीं हुई सजा जादा कड़ी है। लेकिन मैं चाहती हूँ की एक और स्टार को जेल हो- सलमान खान। जहा दत्त ने एक बार गलती की और सब, न्यायकर्ता भी, कहते हैं की उसको अपने गलतीयों का एहसास हुआ हे, खान गल्तीया कर्ता रहता है। मैं समाचार पत्रों में देख देख कर तंग हो गयी हूँ की सलमान ने किसी को मारा हैं, किसी कानून को तोड़ा हैं।
डेमोक्रेसी को साबित करने के लिए संजय दत्त को बेवजे जेल नही देना चाहिऐ। इस के लिए सलमान खान को जेल दे दो। और आम आदमीयों के केसिस को भी जल्दी जल्दी सुन के करवाई करना चाहिऐ.

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