Sunday, September 16, 2007

हेलन की दिविधा

हेलन ऑफ़ स्पर्ता/तरोई की कहानी बड़ी दुखभरी है। हेलन के माता पिता ने उसकी शादी मेनेलौस के साथ करवा दीं थी। और आगे क्या हुआ, वह कहानी कहानी में फर्क हैं। हम आज वुल्फ्गांग पेतेर्सों का बनाई हुई और होमेर के कहानियो से काम करेंगे। फिल्म में हेलन बिल्कुल मेनेलौस से प्यार नहीं करती थी और वह उस से बिल्कुल प्यार नहीं कर्ता था। फिर पेरिस स्पर्ता आया। वह उस से बहुत प्यार कर्ता था। लेकिन वह नादान था। हेलन जानती थी पेरिस के साथ जाने का परिणाम-- उस का पाती और पाती का भाई तरोई को विध्वंस कर डालेंगे। लेकिन फिर भी हेलन उस के साथ गयी।
लेकिन क्या उस ने सच मे गलत किया? क्या उस को ख़ुशी खोजने का आधिकार नहीं है?
मैं बिल्कुल नहीं कह रही की जो हुआ वह पूरी तरह हेलन की गलती हैं, इस मे पेरिस का भी हाथ हैं। लेकिन, जैसे वुल्फ्गंगेंग ने स्पर्श कीया हैं, हेलन को ज़्यादा अनुभव था। वह यह जानती भी थी। वह पेरिस को कहती भी थी "तुम बहुत नादान हो, मेरे प्यार।" इस लिये जो हुआ ज्यादा हेलन की गलती हैं।
होमर मे बात कुछ और है। होमर ने लिखा की पेरिस को वरदान मिल था की हेलन उस से प्यार करेगी। तो इस कहानी मे वह कुछ गलत नहीं करती। यह उस की पडा को और दुखदायक बनाती हैं। लेकिन फिर भी, होमर में यह प्रशन उठ ता है की सब हेलन को वस्तु बनाते हैं। मेनेलौस को वरदान के बारे मे कुछ नहीं पता। तो जहाँ तक वह जानता हैं, हेलन अपने मर्जी से पेरिस के साथ गयी हैं। तो उस को हेलन के मर्जी का आदर करना चाहिऐ था। तो इस कहानी मे पहले पेरिस ने उस को वस्तु बनाया, फिर मेनेलौस ने। और उस को ज़िन्दगी भर लोगो का कहना सुनना पड़ा क्योंकी और कोइ वरदान का राज़ नहीं मालूम।

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