Saturday, September 15, 2007

देश प्रेम

हम देसी जो इस देश में पैदा हुए है, और यहीं रहते हैं, उनको यह दुविधा काफी सताती है की वह दोनो भारत और अमरीका के अच्छे नागरिक कैसे बने? पहले जब मैं छोटी थी मेरा सुझाव आसान था। तब मैं सोचती थी की मैं बड़ी हो कर हिंदुस्तान चली जाऊंगी लेकीन जब मैं बड़ी हुई तो में सच में दो देशों की नागरिक बनी। कही लोग कहते है की दो देशों का नागरिक होना असंभव है। लेकिन मई कहती हूँ की मैं तो रोज़ दो देशों की नागरिक बनके दिखाती हूँ। मैं अमरीका मै रहती हूँ, तो इस देश के प्रती मेरा कर्तव्य ज़्यादा हैं। लेकिन मैं हिंदुस्तान से बहक प्रेम करती हूँ। मुझे लगता है की मेरी संस्कृति मेरी धरोहर है। मुझे जो चीज़ विशेष और अच्छा इन्सान बनाती है वह है मेरा धर्म और मेरे संस्कार। मेरी संस्कृति मुझे बड़े का आद्र और छोटे के लिए प्यार। मुझे सिखाता है की मैं मन लगा के पढाई करूँ। यह सब तो खूब है लेकिन इस से यह नही साबित होता की कैसे नागरिक का कर्तव्य दो देशों के प्रती निभाया जाए।मेरा जवाब है की अनजाने मे हम सब बहुत देशों के नागरिक है। तो यह दुविधा अकेली मेरी नहीं हैं बलकी हम सब की है। और हम सब को मानव धर्म का पालन करना है। जो भी गलत निरने "हमारा" देश लेती है, हमे उसका विरोध करना है। हमे सत्य का साथ लेना और देना है । तो जो भी मेरे से पूछता है की मैं दो देशों को प्रेम कैसे कर सकती हूँ। मैं दोनो के दीएहुए संस्कार, अमरीका ने मुझे जीत ना और कमाना सिखाया है और भारत ने मुझे संस्कृति दीं है। में इन दोनो चीजों का कदर करती हूँ। और जहाँ तक दोनो देशों के णिराने और मेरा कर्तव्य का सवाल है, हर परिसथिथी मे मेरा जवाब अलग है क्योंकि मैं एक तरफी फैसला नही करती, बलकी यह सोचने की कोशिश करती हूँ की सत्य किस पक्ष मे है।

1 comment:

Unknown said...

your thoughts are lovely