Saturday, September 29, 2007

हीरो-फिल्म और मेरे कुछ प्रशासनिक चीज़े।

पहले, फिर से--सारी तिपणीन्यों के लिये मेरा हार्दिक धनियावाद।

आज मैंने हीरो देखी। उस मे जो सन्नी दीयोल का जा रोल हैं, मुझे बहुत ख़ूब लगा। उस मे वह फौज मे होता हैं, और उसको कश्मीर की चार्ज मिलता हैं। लेकिन जहाँ पहले वाले मेजर गॉव वालों को लूटता है, नया मेजर सोचता हैं की शांती तभी आएगी जब वह कश्मीरियों का दिल जीत पाएंगे। मुझे यह बहुत बहुत अछा लगा। लेकिन मुझे इस बात की भी ख़ुशी हुई की निर्देशक ने भारतीय फ़ौज के ज़ुल्मो को भी दिखाया, की यह झगड़ा एक तर्फी नहीं हैं। उन्होने दिखाया कि कई बेकसूर मुसलमान गाव वालों फौजीयों से इतना इतना डरते थे। दिखाया की मेजर के इलावा कम फौजी सोचते थे की दोस्ती से दिल जीता जा सकता और उसके बात आतंकवाद को रोका। और फिल्म को मनोरंजन-दायक बना कर यह भी किया की लोगों इस को देखेंगे।

कई लोग मुझे नादान और इन विचारों को मेरा बचपना। लेकिन मेरा ह्रदय मानता हैं की जो नफरत और हिंसा से नहीं कमाया जा सकता वह दोस्ती और प्यार से पाया जाएगा। मेरा दिल कहता हैं कि अगर हम ऐसे उसूओलों पे चलते गाए तो हम जल्द ऐसे समाज और दुनिया मे जीं रहें होंगे जिस मे धर्म का असली अर्थ मालुम पड़ेगा, जो हैं इन्सनीयत, प्यार, एकता, और शांती।

और एक और खुश खबरी --- ब्लागस्पाट के कारण यह मेरा पहला ब्लौग है जिस मे लिखने मे एक भी नहीं गलती हुई हैं! आप सब से इन प्रयासों को पढने के लिए मैं आभार प्रकट करती हूँ

2 comments:

Vikash said...

कुछ वर्तनी की अशुद्धियाँ अभी भी हैं. प्रयास जारी रखिये. :) शुभकामनाएँ.

विकास परिहार said...

प्रिया जी आपकी लेखनी में सुधार आया है और आशा है आगे भी यह सुधार आता रहेगा। आप इसी तरह लिखती रहिए। और जितना अधिक हो सके आप हिन्दी को पढिए इससे आपको शब्दों की जानकारी और उनके विविध प्रयोगों की जानकारी भी मिलेगी।