Wednesday, October 10, 2007

देश-प्रेम

कल मुझे एक और बार अहसास हुआ की देश प्रेम का सच्चा मतलब क्या होता हैं। मैं काम्पुस पर खड़ी थी और पीछे झंडा लहराता हुआ दिखा। उस झंडे के पीछे काला आसमान था और इतना खूबसूरत लग रहा था झंडा। हम राष्ट्र गीत गा रहे थे, और मैं सोचने लगी, इस झंडे के लिए कितनों ने क्या क्या कुर्बानी दीं हैं, और दे रहें हैं। मैं इतनी आसानी से क्या क्या बक सकती हूँ, लेकिन सरहद पर, और अन्य जगाओं पर जवानों हमारा किया भुगत रहें हैं।
मैं उनको सलामी देती हूँ और कहती हूँ कि जब भे मैं कोइ विरोध प्रदर्शन के बारे मे सोचुन्गी भी तो आप लोगों के बारे मे भी सोचुन्गी। मे ध्यान मे रखूंगी की हमारा किया आप के लिए कितना हानीकारिक हो सकता हैं। अगर हम ने बहुत सोच समझ के चुनाव मे वोट नहीं डाला तो क्या क्या भुगतना पडेगा। अगर हमने अपने राश्त्रपतीयों और संसद के लोगो सो प्रशन नहीं करा तो आप का क्या होगा। आप जो हमारे लिए लड़ रहें हैं।
यह सब सोचते सोचते मुझे खयाल आता हैं कि शायद ड्राफ्ट होना ही चाहिऐ तो हम सब भुगतें क्योंकि अभी ज्यादातर गरीबों और उनके परीवार वालें भुगत रहें हे। जो लोग युद्ध का एलान करते हैं, उनके कम बच्चे लड़ रहें हैं। यह हमेशा नहीं होता था। संसदी केनेडी का बीटा, जो जाकर राष्ट्रपती बना वह दुसरा महायुद्ध मे लड़ा। और संसदी केनेडी युद्ध की नीती मे भाग ले रहा था। वाह। तो वह कुर्बानी सिर्फ दूसरो से नहीं मांग रहा था।

1 comment:

Rakesh Kumar Roy said...

hi! Priya... appka likha desh prem wala article padha.. aisa lagta hai ki aap NRI hai aur hindi sikh rahi hai...appki bhawnao ko aapkey lekh se samjhney ka mauka mila..aaj kal app kya kar rahi hai..mai aapsey sampark me rehna chahata hoo..meri mail ID hai royrakesh@gmail.com