Sunday, October 21, 2007

दशेरे पर थोडे विचारों

दुशेरे के दिन मे हम सब के लिए एक संदेश हैं -- सत्यमेव जयते। लेकिन हम सब को सचाई के पक्ष मे हमेशा लड़ना चाहिऐ। आज मैं एक सम्मेलन पर गई थी जहाँ पर होलोकास्त से जो लोग बच्चे थे, उन्होने हम सब से बात किया। मुझे लगा कि यह दुशेरे मी मौक़े के लिए कितना उचित विषय हैं। होलोकास्त एक घोर पाप हैं। एक घोर अत्याचार। जिन्होंने मेरे से बात किया उन्होने मुझसे कहाँ मेरे कहानी से सीखो कि लोगों से प्यार से मिलना चाहिये और अत्याचार का विरोध करना हम सब का कर्तव्य है। उन्होने कहा कि जर्मन देश के निवासी अब कहते हैं कि उनको नहीं पता था कि हिट्लर क्या कर रहा था। वह बोली कि कैसे नहीं पता था! कुछ कर सकते थे! उसके, जिस औरत ने बोला, उसके पाती ने कहा, कि यह हार रात जर्मन फौज से स्वप्नों मे लड़ती हैं। उनसे [जान कि] बिनती करती हैं। इस और ऐसे अन्य परिस्थितियों मे हम को, जो अत्याचार होते देख रहें हैं, क्या उनको कुछ नहीं करना चाहिये।
इस से हमको सीखना चाहिये कि अन्याय का विरोध करो। आज भी बहुत जगह मे लड़ाई हो अही हैं। डारफुर मे जातिसंहार हो रहा हैं। इस मामले मे मैं थोडी सी बोलती ज्यादा और करती कम हूँ। मैंने अभी डारफुर मे हो रहे अत्याचारों के विरोध मे ज्यादा नहीं किया। मेरा करने के इरादा हैं। लेकिन मेरे साथ आप भी कुछ करने का वादा करें। दशेरका यह तो असली मतलब हैं। कुछ करिये। यह जानिए की सत्यमेव जयते। कि सत्य और न्याय हमेशा जीतेगी। लेकिन उसको हमेशा हमारे साहिता कि ज़रूरत हैं।

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