Tuesday, October 23, 2007

थोडा विश्लेषण

मेरे पहले पोस्ट मे क्या दिखाया गया? दिखाया गया कि माँ यह नहीं समझती थी के सोन्या एक आज्ञाकारी बेटी थी। वह बात मान जाती। लेकिन उससे बात न करने का अंजाम बुरा था। अगर माँ अपने तर्क सोन्या को समझा देती, यह तो सोन्या ख़ुशी ख़ुशी शादी करती, यह शायद माँ के विचारों मे कुछ बदलाव आता। लेकिन सही विषय क्या था? दो देशों का अंतर। माँ डर रही थी कि अमरीकी संस्कृति सोन्या के संस्कार पे ग्रहण डाल रहा था। वह डरती थी कि आवेश मे आकर सोन्या बर्ट के साथ कुछ न कर बैठे । उसने सोचा कि मेरी माँ ने मेरी शादी बिन पूछे अपने पसंद के लड़के से कर दिया था, तो सोन्या के लिए भी यह ठीक होगा।
सोन्या: मैं खुद के फैसले करना जानती हूँ। मैं अच्छा फैसला करूंगी तो माँ और बाबूजी को क्या ऐतराज़ हो सकता हैं। बर्ट अच्छा लड़का हैं, वह ठीक कमाता हैं, मुझे अच्छे से रखेगा। तो समस्या क्या हैं? मैं यहाँ पे पली बड़ी हूँ, यहाँ के तोड़ तरीके समझती हूँ और बर्ट मुझे समझता हैं। वह जनता हैं की मैं एक पक्की हिन्दू हूँ। मुझे अपने बच्चे को भारत के रंगों के साथ बड़ा करना चाहती हूँ। और उसने वादा किया था कि वह मुझे करने देगा ।

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