Sunday, October 21, 2007

थकान

कभी कभी, खासकर इन दिनों मैं सोचती हूँ कि थकान सिर्फ हमारे मन मे हैं? हम अपने को अभ्यास और नियम के साथ जीने से यह थकान दूर हो जायेगी। लकिन शायद कभी कभी यह हम मन को बहकाने के लिए कहते हैं। आज सुबह मुझे बहुत रोना आया और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं रो क्यों रहीं हूँ। फिर मेरे ध्यान मे आया कि मुझे नींद आ रही थी। मैं काम मे इतनी लग गयी थी कि क्या कहूँ। और जब बिस्तर मे सोने के लिए लेटी तो नींद आने मे वक्त लगा। इस का अंजाम क्या हुआ? तकरीबन तीन हफ्तों से मैं ठीक से सो नहीं रहीं हूँ। तो आज मैंने मम्मी और पापा से बोला कि आप दोनो बाहर चले जाएँ और मे घर पे पढूंगी तो आज रात को मैं सो पाऊं। मुझे थोडा खराब लगा क्योंकि माँ और बाप के साथ भी वक्त बिताना चाहिऐ लकिन अगर मैं थकी थकी उनके साथ समे बिताती तो ना मैं वाहान कि रहती न याहंकी। ऐसे कर के मैं कल को उनके साथ वक्त बिता सकूंगी।
क्या यह ठीक हैं? आप मुझे बताएं। अगली बार मुझे क्या करना चाहिऐ। अपनी तरफ से मैंने बहुत काम पहले कर के रखाथा लकिन दो दो हफ्ते माँ और पापा ने घर बुलाया हैं और घर के कामों मे उलझ गयी। और अगर मैं होस्टल मे रह रहीं हूँ तो थोडा वक्त बातों मे भी बिताना पड़ ता हैं।

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