Tuesday, October 23, 2007

सोन्या कि दुखित कहानी

यह भी एक कहानी के भाग हैं -- लेकिन यह हमारा पहले कहानी से जुडी हुई हैं।
सोन्या कमरे से बाहर आई। वह झुक के मुन्नी को चूमी। "दीदी को भूल मत जाना।" "आप हमेशा चोकोलेट लाना तो कैसे भूलूंगी।"
सोन्या रोते रोते हँसी। "चुटकी।"
सोन्या फिर अंदर गयी और फिर उसने चूडी पहने। वह माथे पे टीका सजा ने लगी। माँ अंदर आई "बेटी, दो घंटे मे मंदिर के लिए रवाना होना हैं। "
सोन्या ने सर हिलाया, माँ हो दिखने के लिए कि उसने उनकी बात सुनी। जबसे माँ ने सोन्या के शादी का एलन किया, सोन्या ने उनसे बात नहीं की। माँ को पता था कि सोन्या बर्ट से प्यार करती हैं। जब सोन्या ने माँ को बताया कि वह किससे प्यार करती हैं, उसके तीन बिन बाद माँ ने पापा से कहाँ कि वह सोन्या कि शादी अपने दोस्त के बेटे रोहन से करवा दे। सोन्या पापा की बात नहीं टाल सकती थी। माँ ने पापा को इतना उकसाया कि सोन्या को यह तो पापा को ना करना पड़ता।
सोन्या ने बर्ट को एक खत लिखा था। "तुम जानते हो कि मैं तुमसे कितना प्यार करती हूँ। लेकिन पापा की बात को नहीं टाल सकती। मेरे पीछे मत आना। तुझे हमेशा चाहूँगीसोन्या "ब्लू आएय्स"
माँ दो घंटे बाद सोन्या के पास आई। "तीन साल मे तू मेरा निर्णय समझे गी। "
"मुझसे बात करने के बजाय आप मेरे पीट के पीछे जा कर आपने शादी का निर्णय ले लिया। यह क्या इन्साफ़ हैं?"
"मैं तेरी माँ हूँ। तू मेरी बात कभी नहीं समझती।"
"आप ने बात करके देखा? अगर मे आज्ञाकारी बेटी न होती तो मैं भाग जाती। मैं पकना हूँ। मैं समझदार हूँ। अगर आप मुझे तर्क समझा सकते तो शायाद मैं राजी ही हो जाती। लेकिन, आप ने मुझे उस के लायक नहीं समझा।"
"हमारे यहाँ बच्चों को सिर्फ बताया जाता हैं। यह कौनसी जगह आ गयी जहाँ बेटी को लग त हैं कि उससे सलाह लेनी चाहिऐ थी शादी के लिए।" लेकिन माँ के आवाज़ मे पहली बार थोडा संकोच आया।
"गाडी आ गयी!" नीचे से आवाज़ आई।
सोन्या उठी और गाडी मे बैठ गयी। मुन्नी गो उसने गोद मे बिठाया।

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