एक क्लास के लिए मैं भारत के प्रजातंत्र राज्य के बारे मे पढ़ रही थी और मुझे खयाल आया कि सच मुच कितनी गर्व की बात हैं की इतने सालों मैं हिंदुस्तान को कोई राज्यविप्लव ने नहीं तोड़ा। सब पाठ मे लिखा था की सिर्फ इंदिरा गांधी के अवधि मे प्रजातंत्र वादी स्टाईल पर आंच आयी। लेकिन इंदिरा गांधी को जिस तरा निकाला गया यह भी कुछ कहता हैं। एक पाठ मे भी लिखा था की सच मैं यह दीखता हैं कि अंत मे जो भी इंदिरा के गुनाह थे, और बहुत गुनाह थे, वह पूरी तरा बुरी नहीं थी। उस के अंदर अपने बाप के सिद्धान्त थे-- जवाहरलाल नेहरू को डेमोक्रसी से बहुत प्रेम था। उन्होने संविधान मे बहुत बदलाव लाना चाहा और उनको न्यायालय से शिकायत थी, लेकिन उसने हमेशा उस का आदर किया।
यहीं बात होनी चाहिए। अमरीका मे बहुत लोगों को २००० चुनाव पर लज्जा आई। हमने कहाँ, यह कैसे को सकता हैं की बुश राष्ट्रपति घोषित हो सकता हैं जब की ज़्यादा लोगों ने गोर के लिए वोटों डालें हैं। और पे और किसी को राष्ट्रपति बनने मे इतना वक्त लग रहा था। लेकिन, एक पोलिश प्रधान मंत्री ने कहाँ की बहुत देशों के मंत्रियों ने कहाँ था कि बल्कि यह बताता हैं की अमरीकी डमोक्रसी कितनी मज़बूत हैं की ६ हफ्ते के बाद दोनो पक्ष न्यायालय के फैसले का इंतज़ार कर रहे थे। उन्होने बोला, जो मंत्री बात कर रहा था, कि उनके देश मैं अगर इतने दिनों बाद किसी को पदवी नहीं मिलती तो कोई और अपने को बल के साथ नीयुप्त कर लेता।
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