कल मैंने आर के फ़िल्म की बनाया हुआ प्रेम रोग देखा। उस मे बड़ी अच्छे तरीके से दिखाया हैं कि एक छोट्टी नादान बच्ची पे क्या गुज़र ता हैं जब वह विधवा बन जाती हैं। और पे और इस फिल्म मे दिखाते हैं की कई परिवारों मे स्त्री का कितना और कैसे दुर्व्यवहार होता हैं। तनुजा, मनोरमा--विधवा-- कि भाबी उन्के के बचाव की कोशिश करती हैं, लेकिन जब पाती ही विधवा का बलात्कार कर्ता हैं तो वह उसे माई के भेजने के अलावा कुछ नहीं कर सकती। और पे और इस फिल्म मे यह भी दिखाते हैं कि बडे जमींदार और ऊंचे जात वाले कैसे फ़ायदा उठाते हैं। लेकिन यहीं इस फिल्म की बुराई हैं। इस फिल्म मे बार बार कहते हैं की बड़े ठाकुर अच्छे आदमी हैं। और वह भी देवधर का साथ देता हैं, लेकिन उस को क्या मिलता हैं? अंत मे कोई उस को बढावा देता है, की तुम्हारे पास इतनी ताक़त हैं और तुमने हमारा साथ दिया। कोइ सोचता हैं उसके बारे मे? कई समाज बदलने वाले चीजों मे यहीं दोष होता हैं। वह कुछ ज्यादा ही दोषी मानते हैं उन्हें जिसे समाज मे ताक़त मिलती हैं।
हमे याद रखना चाहिऐ की कई यह लोग भी अच्छे हैं और मदद करना चाहते हैं बस उनको पता नहीं कैसे। उनके गुणों के लिए सज़ा दो, उन गुणों के लिए नहीं जो उन्होने नहीं किया । उनको साथी और मित्र बना लो दुश्मन नहीं यह दिखा कर की वह क्या कर सकते हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment