मैंने आज परवेज़ मुशर्रफ का भाषण सुना। और उससे साफ दिख रहा था कि वह सिर्फ पाकिस्तानियों से नहीं बलकी पूरी दुनिया से बात कर रहा था। भाषण के बीच मे वह अंग्रेज़ी मे बात करने लगा और इस समय वह सिर्फ अमरीकी लोगों और यूरोपीय लोगों से बात कर रहा था। उसने मशहूर अमरीकी राष्ट्रपति एब्रहाम लिंकन का कहा दोहराया। इससे वह यह साबित करना चाहते थे कि अमरीकी इतिहास मे भी राष्ट्रपति, और वह राष्ट्रपति जिस के इतिहास जय गाथा गाता हैं, उसको भी संविधान के कानून को तोड़ना पडा और "इमरजेंसी" का एलन करना पडा। उन्होने बार बार यह ज़िक्र किया कि अभी पाकिस्तान कि उमर कम है। हुक़ूमत-ए-पाकिस्तान अभी भी लोकतंत्र बनेगी। लेकिन अभी पाकिस्तान को वक्त चाहिए। यह कह कर अगर वह सफल होंगे, यह तो वक्त ही बता सकेगा। लेकिन उनका भविष्य बिल्कुल साफ नही हैं। उन्होने भाषण तो अच्छा नही लग रहा। एक तरफ हैं आतंकवादी, एक तरफ भुट्टो और शरीफ, और तीसरी तरफ है अमरीकी और यूरोपीय सरकारें। सारे सरकार ने कह दिया हैं कि वह मुशेरफ कि इस प्रदर्शन और कार्य का विरोध करते हैं।
लेकिन उनके विरोध से सच मे क्या होगा? अमरीका अभी पाकिस्तान को बहुत रुपये दे रहा हैं। और कम से कम यह रुपए मुशेरफ के साथी को खुश रख रहा है। यह बहुत ज़रूरी हैं क्योंकि अगर साथी नाराज़ हो गए तो मुशेरफ को जल्दी भाग न पड़ेगा।
मुझे मुशेरफ के लिए कम चिंता हैं। मेरी चिंता तो उन आम आदमियों के लिए हैं जो लड़ाई के बीच मे फसें हैं. उनके लिए मैं प्रर्था कर रहीं हूँ. प्रभु उनकी रक्षा की जिए गा।
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1 comment:
मैंने भी सूना मोसर्रफ का भाषण , उसके चहरे से साफ झलक रहा था की बाहर और भीतर चारो तरफ़ से सशंकित है वह अपने भविष्य को लेकर . आपने सही लिखा है की वह सिर्फ पाकिस्तानियों से नहीं बलकी पूरी दुनिया से बात कर रहा था।
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