Tuesday, November 6, 2007

आज मैं जब उठी मेरे अंदर बहुत कृतज्ञita भरी हुई थी। परसों डेलाईत सेविन्ग्ज़ के कारण मुझे कम, थोडे देर के लिए थकन का आभास हो रहा था। और मुझे लगा कि थोडे दोनो से मुझे बहुत थकान और जैसे बिल्कुल पढने का मन ही नहीं कर रहा। और मुझे कल थोडा सा वक्त खुद के कामों के लिए मिला। आज भी थोडा वक्त था लेकिन वह लेपटोप के सुधार मी निकल गया। बेस्ट बाई। मुझे फिरसे शुक्रवार को जाना पडेगा। लेकिन इस के बहाने दिवाले के लिए कुछ और खाना खरीदने का मौका मिलेगा क्योंकि एक दुकान बिल्कुल बेस्ट बाई के पास हैं।
लेकिन यह पोस्ट ख़ुशी और कृतज्ञता के बारे मी हैं। मुझे लगता हैं कि धन्यवाद करना बहुत ज़रूरी हैं। कई लोगों जो बहुत "हाई" करते हैं, उनके पास बहुत हैं। इन सब चीजों के लिए भगवान से आभार प्रकट करने का बजाए लोग शिक़ायत करते रहते हैं। घर मी दो गाड़ियाँ हैं लेकिन तीसरा नहीं हैं इस लिए शिक़ायत करेंगे। यह नहीं सोचेंगे कि बगल वाले के पास एक भी गाड़ी नहीं हैं और उसको पैदल जाना पड़ता हैं।
मैं भी यह भूल करती हूँ और शिक़ायत करूंगी - मैं तीन साल से हिंदुस्तान नहीं गयी लेकिन मेरे कई दोस्त दस साल से नहीं गए और माँ और पापा ने बोला हैं कि शायद इस साल यह अगले साल भेज पाएँगे।

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