Sunday, November 18, 2007

शूताऊt अट लोखंडवाला

कल का थकान और आज अच्छी तरा से काम हुआ! बहुत अछा लगा। आज मैंने शूटाउट ऐट लोखंडवाला
देखा का एक क्लिप देखा। वह अंत का क्लिप था और उसमे पूछा गया कि आप क्या चाहते हैं? बाहर ए.टी.एस हो यह मोब। इस का जवाब देना मुश्किल है। इस फिल्म मे बहुत कोशिश कि गयी के दोनो तरफ के लोगों का जो तर्क था, जीवन था, वह दिखाया जाए।
मोब के लड़कों के भी परिवार वालों, उनके भी दुःख को दिखाया और पोलिस वालों के कुर्बानियां। और अंत मे बताते हैं कि ए.टी.एस ने क्या कर दिखाया और उसके बंद करे जाने के बाद ही मुम्बई बम ब्लास्ट हुए। कारणकार्य-सम्बन्ध लगाना मुस्खिल है-ए.टी.एस। रोक पाती यह नहीं? लेकिन यह सब फिजूल की बातें हैं। सच बात है कि किसी कारन भारतीय सरकार ने इसे रोक दिया था। क्यों? यह वो ही जाने।
लेकिन जब मैंने फिल्म पहली बार जब मैंने फिल्म देखी तो मेरे अंदर बहुत घबराहट उमड़ी थी। ऐसे सरकारी फैसले से मुझे हमेशा डर लगा है क्योंकि मुझे लगता है के ऐसे शक्ति का इस्थिमाल ज़्यादातर गलत ही होता है। लेकिन फिर उन लोगों का क्या जो मारे जाते। जो तड़प तड़प के जीते। इस सवाल का मेरे पास जवाब नहीं। आप लोग ही मुझे बताएं।

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