Tuesday, November 13, 2007

क्लास- २

अलप-संखयक लोगों को भी ठीक पेश किया जाता था। लेकिन एक चीज़ है- उन्हें कम दिखाया जाता था। यह ठीक है और बुरा भी। ठीक है क्योंकि इस का मतलब है बुरe रुप मे तो नहीं दिखा रहे। और बुरा क्योंकि वह भी हिंदुस्तान का हिससा हैं। अगर हम कह सकते हैं की इस के वजह है कि लोग धर्म के बारे मे सोचते ही नहीं थे इस लिए उन्हें दिखाया नहीं जाता। यह अच्छा है।लेकीन क्या यह सच है? इस वाद-विवाद मे मैं कुछ नहीं कह सकती। लेकिन जो बाकी हिंदुस्तान मे हो रहा था, धर्म के नाम पर खून-खराबा, बोलीवुड उससे बेखबर नही था, इस से लगता है कि कोई और ही कारण था। लेकिन जिन फिल्मो मे दिखाया है ठीक दिखाया है। अमर- अक्भar enthonee मे तीन बडे मज़हब, इसाई, मुसलमानों और हिन्दुओं को दिखाया था। तीनों अछे थे। और तीनो के धर्म को छुपाया नहीं गया। एन्थोनी ईसाई धर्म का चिह्न लगाता है। और एक गाना मे तीनों अपने धर्म का एलान करते हैं। मुझे यह अच्छा लगा।एक बात है जिससे लगता है कि अभी चीजे पूरी तरा बिगडी नहीं हुई। आज कल बहुत लोग कर्मण्यतावादी फिल्म बना रहें हैं जिसका मकसद है दिखाना कि क्या हिंदुस्तान मे बुराएया है जो सुलझाने चाहिए। और मे सिर्फ सफल निर्देशकों के फिल्मो के बारे मे बात करूंगी कारण बाद मे बताया जाएगा। राजकुमार संतोषी ने लज्जा बनाई। इस फिल्म मे साफ दिखातें हैं कि bhaarat मे औरतों पर क्या ज़ुल्म हो रहें हैं। चक दे मे दोनो, मुसलमानों पर क्या ज़ुल्म हो रहे हैं वह दिखाते हैं और महिलाओं के समस्याओं के बारे मे बात करती हैं।मिशन कश्मीर मे मुसलमानों पर क्या बीतती है इसके बारे मे बता ते हैं। असल मे मिशन कश्मीर मे बहुत बुरा हो सकता था। क्योंकि बहुत लोग सोचते हैं कि सब मुसलमान आतंकवादी हैं। लेकिन इस फिल्म मे साफ dikhaaten हैं कि इस्लाम आतंकवाद की इजाज़त नही देता। और एक सीन, जहाँ पर खान, संजय दत्त, और एक आईएस वाला बात कर रहे होते हैं, खान पर आरोप लगाया जाता है कि वह आतंकवादी है। और वह गुस्सा हो जाता है और कहता है कि यह इस देश की बद्किस्माती है कि बहुत सालों से गोली खाते aadmee पर आतंकवादी होने का इलजाम इस लिए गाया जा रहा है क्योंकि वह मुसलमानी हैं। तो यह बात अच्छी है। लेकिन ऐसी फिल्मों की पहुंच कम होती है। इस लिए दूसरे फिल्मो का सुधार आवश्यक हो जाताहैं।

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